Bihar Chunav 2025: नीतीश ने कर दिया साफ़ – गोपाल मंडल या बुलो मंडल, किसे मिलेगा टिकट? जानिए विस्तार से
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां अब तेज़ हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू (JDU) टिकट वितरण को लेकर पूरी तरह एक्टिव मोड में आ चुकी है। इस बार पार्टी ने यह साफ़ कर दिया है कि टिकट उसी को मिलेगा जो परफॉर्मेंस और छवि दोनों में पास हो। ऐसे में दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं — गोपाल मंडल और बुलो मंडल। सवाल है, आखिर टिकट किसे मिलेगा?
🔹 नीतीश कुमार का नया फॉर्मूला — “काम दिखाओ, टिकट पाओ”
नीतीश कुमार ने इस बार एक सख्त नीति अपनाई है। उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा है कि जो जनता के बीच सक्रिय हैं, वही उम्मीदवार बनेंगे। मतलब साफ है — विवादों में घिरे या निष्क्रिय नेताओं को इस बार टिकट की गारंटी नहीं मिलेगी।
यह रणनीति जेडीयू के लिए “इमेज क्लीनअप ड्राइव” जैसी है, जिससे जनता को यह संदेश मिले कि पार्टी पुराने चेहरों पर नहीं, बल्कि काम करने वालों पर भरोसा कर रही है।
🔹 गोपाल मंडल की मुश्किलें बढ़ीं
गोपालपुर सीट से जेडीयू के चर्चित विधायक गोपाल मंडल इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।
हाल ही में पार्टी के अंदर उनके टिकट कटने की चर्चा तेज़ हो गई है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार उनके बयानों और विवादित गतिविधियों से काफी नाराज़ थे।
राजनीतिक गलियारों में ये भी खबर है कि गोपाल मंडल ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है और वे किसी नए राजनीतिक ठिकाने की तलाश में हैं।
अगर यह सच है, तो यह साफ संकेत है कि नीतीश कुमार ने अब उनसे दूरी बना ली है।
👉 इसका मतलब साफ है — गोपाल मंडल की टिकट की राह लगभग बंद हो चुकी है।
🔹 बुलो मंडल पर अब सबकी नज़र
अब बात करते हैं बुलो मंडल की।
हालांकि उनका नाम अभी तक मुख्य मीडिया में ज़्यादा नहीं आया है, लेकिन पार्टी के अंदर चर्चा यह है कि नीतीश कुमार कुछ नए चेहरों को मौका देना चाहते हैं।
बुलो मंडल उन नेताओं में से एक हो सकते हैं जो ज़मीन पर काम करने वाले, शांत स्वभाव और जनता से जुड़े हुए माने जाते हैं।
अगर जेडीयू “इमेज सुधार” की दिशा में जा रही है, तो बुलो मंडल जैसे नेता नीतीश कुमार के नए फॉर्मूले में फिट बैठ सकते हैं।
🔹 नीतीश कुमार की रणनीति क्या कहती है?
नीतीश कुमार इस बार किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते।
उनकी रणनीति तीन हिस्सों में बंटी है:
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परफॉर्मेंस रिपोर्ट कार्ड:
हर विधायक से पिछले 5 साल का कामकाज रिपोर्ट मांगा गया है। -
जनता की राय:
जेडीयू कार्यकर्ता और लोकल सर्वे यह तय करेंगे कि जनता किससे खुश है। -
छवि और अनुशासन:
जिन नेताओं पर विवाद या अनुशासनहीनता के आरोप हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा।
इन मानकों पर देखा जाए तो नीतीश की नजर में गोपाल मंडल का टिकना मुश्किल है, जबकि बुलो मंडल या कोई नया चेहरा आगे बढ़ सकता है।
🔹 अंदरूनी समीकरण भी बदल रहे हैं
बिहार की राजनीति जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर हमेशा टिकी रही है।
गोपाल मंडल अपने क्षेत्र में प्रभावशाली तो हैं, लेकिन विवादों की वजह से पार्टी उन्हें आगे नहीं बढ़ाना चाहती।
वहीं बुलो मंडल जातीय संतुलन के साथ नीतीश की “क्लीन इमेज” लाइन में फिट बैठते हैं।
यानी अंदरूनी समीकरण भी अब बदलते नज़र आ रहे हैं।
🗳️ निष्कर्ष: टिकट की बाज़ी कौन मारेगा?
अब तक के संकेत यही बताते हैं कि
👉 गोपाल मंडल की टिकट लगभग पक्के तौर पर कट चुकी है,
जबकि
👉 बुलो मंडल या किसी नए उम्मीदवार को मौका मिलने की पूरी संभावना है।
नीतीश कुमार के इस फैसले से यह साफ संदेश गया है कि जेडीयू अब “विवाद नहीं, विकास” की राजनीति पर फोकस करेगी।
चुनाव 2025 नीतीश के लिए सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि “इमेज रिस्टोर” करने की लड़ाई भी होगी।